Titanic expedition: टाइटैनिक तक जाने का फिर शुरू होगा अभियान, जानें क्या है इसके पीछे का मकसद

Titanic expedition: सालों पहले डूबे टाइटैनिक को लेकर दुनिया भर में अभी तक जिज्ञासा बनी हुई है। यही वजह है कि अब एक और अमेरिकी कंपनी ने डूबे हुए टाइटैनिक जहाज तक जाने के लिए अभियान शुरू करने का ऐलान किया है।

Titanic expedition: टाइटैनिक तक जाने का फिर शुरू होगा अभियान, जानें क्या है इसके पीछे का मकसद

Titanic expedition: 1912 में उत्तरी अटलांटिक सागर (North Atlantic Sea) में दुनिया का सबसे बड़ा जहाज टाइटैनिक डूब गया था। इस र्दुघटना में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। सालों पहले डूबे टाइटैनिक को लेकर दुनिया भर में अभी तक जिज्ञासा बनी हुई है। यही वजह है कि अब एक और अमेरिकी कंपनी ने डूबे हुए टाइटैनिक जहाज तक जाने के लिए अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। कंपनी का इरादा टाइटैनिक जहाज के मलबे से ऐतिहासिक और अनमोल चीजों को बाहर निकालना है। हालांकि अमेरिकी सरकार टाइटैनिक तक जाने के इस अभियान का विरोध कर रही है। अमेरिकी सरकार (US government) इस अभियान को रोकने के लिए संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संधियों का हवाला दे रही है।

टाइटैनिक अभियान (Titanic expedition) का आयोजन जॉर्जिया स्थित अमेरिकी कंपनी RMS टाइटैनिक इंक (RMS Titanic Inc) कर रही है। इस कंपनी ने अगले साल 2024 में उत्तरी अटलांटिक सागर के तल पर मौजूद टाइटैनिक (Titanic) के मलबे के खोजी अभियान पर जाने का ऐलान किया है। इस कंपनी के पास ही दुनिया के सबसे बड़े जहाज टाइटैनिक के मलबे को समुद्र से उठाकर बाहर लाने का अधिकार है। 

RMS कंपनी ही चांदी के बर्तन से लेकर टाइटैनिक (Titanic)  के पतवार के टुकड़ों समेत उन कलाकृतियों का प्रदर्शन करती है जो, उत्तरी अटलांटिक (Atlantic Ocean) के तल पर साइट से बरामद की गई हैं। वहीं एक बार RMS टाइटैनिक इंक कंपनी ने टाइटैनिक की कलाकृतियों (titanic artifacts) की खोज में यह आगामी अभियान चलाने का एलान किया है।

क्या है टाइटैनिक जहाज तक जाने की वजह?

 मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, RMS टाइटैनिक इंक कंपनी (RMS Titanic Inc Company) का इरादा मई 2024 में टाइटैनिक तक जाने का है। कंपनी का कहना है कि वह टाइटैनिक जहाज के मलबे की तस्वीर लेना चाहती है। कंपनी का मकसद जहाज के भीतर की तस्वीरों को लेने का है। कंपनी मलबे में दबी कलाकृतियों को जमीन पर वापस लाना चाहती है। टाइटैनिक जहाज में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मार्कोनी रूम है। जहां जहाज का रेडियो है।

बता दें कि मार्कोनी एक वायरलैस टेलीग्राफ मशीन (wireless telegraph machine) थी। जब जहाज अटलांटिक महासागर में डूब रहा था, तो उस समय मार्कोनी के जरिए ही सिग्नल भेजा गया था। मोर्स कोड में भेजे गए सिग्नल को तट पर मौजूद एक रिसीविंग स्टेशन ने डिकोड किया और तुरंत मदद के लिए जहाज भेजे। तब जाकर टाइटैनिक के लाइफ बोट में जान बचाकर भागे लोगों का रेस्क्यू किया गया था। मार्कोनी के दिये मैसेज के बाद ही 700 लोगों की जान बचाई गई थी।

RMS टाइटैनिक इंक चाहती है कि वह इस मार्कोनी रूम में जाए और अगर उसे टेलीग्राफ मशीन दिखाई पड़ती है, तो उसे वापस जमीन पर लाया जाए। कंपनी ने साफ कर दिया है कि वह उन चीजों को हाथ तक नहीं लगाएगी, जो जहाज से चिपक चुकी हैं। मगर जो वहां तैर रही वस्तुएं हैं, उन्हें जरूर वापस लाया जाएगा। इस काम को पूरा करने के लिए ही टाइटैनिक तक जाने का खतरनाक सफर होगा।

क्यों अभियान का विरोध कर रहा अमेरिका?

RMS टाइटैनिक इंक कंपनी को टाइटैनिक तक जाने से रोका जा रहा है। अमेरिकी सरकार RMS कंपनी के टाइटैनिक अभियान का विरोध कर रही है। नॉरफॉक, वर्जीनिया में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में टाइटैनिक अभियान को रोकने के लिए अमेरिकी सरकार लड़ाई लड़ रही है। अमेरिका की सरकार का कहना है कि टाइटैनिक के टूट चुके पतवार के जरिए उसके भीतर नहीं जाया जा सकता है। टाइटैनिक के भीतर जाना अमेरिका के कानून के दायरे में आता है और ब्रिटेन (UK government) के साथ इसे लेकर समझौता भी हुआ है।

अगर किसी को टाइटैनिक तक जाना है, तो उसे अमेरिकी सरकार की अनुमति लेनी होगी। अमेरिका की सरकार को ये भी लगता है कि अगर कंपनी वहां तक जाती है, तो टाइटैनिक में मौजूद कलाकृतियों और मानव अवशेष को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, जून में जिस तरह से टाइटन पनडुब्बी हादसा हुआ है, उससे भी चिंता बढ़ी हुई हैं। बता दें कि इसी साल जून में टाइटन पनडुब्बी समुद्र में तबाह हो गई थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी ये कंपनी टाइटैनिक तक 'मौत का सफर' करने के लिए तैयार है।