Kolkata RG Kar Medical College: जूनियर डाक्टरों का काम पर लौटने से इनकार, कहा- हमें और पीड़ित को अभी नहीं मिला न्याय
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल खत्म करने से इनकार कर दिया है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिला है। इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट को नहीं भूलना चाहिए कि यह विरोध प्रदर्शन एक जन आंदोलन है। हम सुनवाई से बेहद निराश हैं।
Kolkata RG Kar Medical College: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (Kolkata RG Kar Medical College) के जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल खत्म करने से इनकार कर दिया है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें और पीड़ित को न्याय नहीं मिला है। इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को नहीं भूलना चाहिए कि यह विरोध प्रदर्शन एक जन आंदोलन है। हम सुनवाई से बेहद निराश हैं। वहीं जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव को भी बर्खास्त किया जाए। इसके लिए उन्होंने आज करुणामयी (साल्ट लेक) से स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकालने का ऐलान किया है।
‘हमें और पीड़ित को अभी तक न्याय नहीं मिला’
9 सिंतबर को केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई कर जूनियर डॉक्टरों को मंगलवार (10 सितंबर) शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें और पीड़ित को अभी तक न्याय नहीं मिला है। इसलिए वे काम पर नहीं लौटेंगे। 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के विरोध में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल जारी है। हड़ताल का 9 सितंबर को एक महीना पूरा हो गया है।
हमें बदनाम करने का प्रयास- जूनियर डॉक्टर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल जारी रखने को लेकर तर्क दिया कि राज्य सरकार किसी भी तरीके से हमारा प्रदर्शन खत्म कराना चाहती है। वे हमें बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से लोग मर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में पेशेंट सर्विस चालू है। सीनियर डॉक्टर्स काम कर रहें हैं।
सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही राज्य सरकार
जूनियर डॉक्टर्स (Junior Doctors) का कहना है कि बंगाल में 245 सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें से केवल 26 मेडिकल कॉलेज हैं। जूनियर डॉक्टरों की संख्या 7,500 से भी कम है। जबकि 93,000 रजिस्टर्ड डॉक्टर हैं। ऐसे में सिर्फ कुछ जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ सेवाएं कैसे ध्वस्त हो सकती हैं। सरकार झूठ बोल रही है और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है।
ममता सरकार ने हिंसा का दोष हम पर मढ़ दिया- डाक्टर
जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि 27 अगस्त को बंगाल में हुई हिंसा का दोष ममता सरकार ने हम पर मढ़ दिया है। हम उन्हें ये याद दिलाना चाहते हैं कि 26 अगस्त को हमने कहा था कि हमारा उस कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं है। हम किसी भी हिंसक घटना का समर्थन नहीं करते हैं और भविष्य में भी नहीं करेंगे।
ममता सरकार ने आंदोलन की मुख्य मांगों पर नहीं लिया एक्शन
वहीं, घटना के 30 दिन बाद भी राज्य सरकार ने आंदोलन की मुख्य मांगों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है। वे सारा दोष सीबीआई जांच पर मढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस की लापरवाही या स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संदीप घोष (Sandeep Ghosh) को निलंबित करने का फैसला सिर्फ लीपापोती है।