Zia Ul Haq Murder Case: राजा भईया पर फिर से लटकने लगी सीओ जियाउल हक हत्याकांड की तलवार
कुंडा के बहुचर्चित जियाउल हक हत्याकांड की जांच फिर से शुरु हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने एक बार फिर इस मामले में अपनी जांच शुरु कर दी है।
Zia Ul Haq Murder Case: कुंडा के बहुचर्चित जियाउल हक हत्याकांड की जांच फिर से शुरु हो गई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद सीबीआई (Central Bureau of Investigation) ने एक बार फिर इस मामले में अपनी जांच शुरु कर दी है। आदेश के बाद सीबीआई की 5 सदस्यीय टीम बलीपुर पहुंची, जहां टीम ने दो घंटे तक घटनास्थल का जायजा लिया और साथ ही कुछ लोगों से पूछताछ भी की।
पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में आदेश के खिलाफ की थी याचिका
जियाउल हक (Zia-Ul-Haq) की पत्नी परवीन आजाद ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश के खिलाफ एक याचिका दाखिल की थी जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सीबीआई को जांच जारी रखने के ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बहाल कर दिया था।
बता दें कि जांच के दौरान सीबीआई ने जनसत्ता दल लोक तांत्रिक पार्टी के मुखिया और कुंडा विधायक राजा भैया और गुलशन यादव समेत उनके चार सहयोगियों के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। वर्ष 2014 में ट्रायल कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए जांच जारी रखने के लिए कहा था जिस आदेश पर बाद में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
क्या है जियाउल हक हत्याकांड
2 मार्च 2013 की रात को प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में एक जमीनी विवाद में हुये बवाल की सूचना पर सीओ जियाउल हक कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा के साथ बलीपुर गांव पहुंचे थे। इस दौरान दोनों पक्षों में फायरिंग शुरू हो गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। उसके बाद आक्रोशित भीड़ ने सीओ जिया-उल-हक को घेर लिया और लाठी डंडों से पीट-पीटकर अधमरा करने के बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। इस दौरान सीओ के गनर इमरान और विनय कुमार सिंह समेत वहां मौजूद पूरी फोर्स भाग खड़ी हुई।
राजा भैया क्यों ठहराए गए आरोपी
राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उस वक्त तत्कालीन समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में कैबिनेट मंत्री थे। डिप्टी एसपी जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद की शिकायत पर राजा भैया के साथ ही उनके कुछ करीबियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
परवीन आजाद ने आरोप लगाया था कि मंत्री राजा भैया के आदेश पर नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, मंत्री के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, उनके ड्राइवर रोहित सिंह और समर्थक गुड्डू सिंह ने मिलकर पहले मेरे पति को लाठी-डंडों से पीट कर अधमरा कर दिया और उसके बाद उन्हें गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
सीबीआई ने राजा भैया को दी थी क्लीन चिट
इस घटना के बाद राजा भईया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीओ जियाउल हक हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी। मामले में सीबीआई ने राजा भइया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे दी। सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन आजाद फिर से कोर्ट चली गई थी जिसके बाद कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और सीबीआई को इस केस की फाइल ओपेन करने का आदेश दिया था