Raksha bandhan muhurat 2023: क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन, जाने इससे जुड़ी मान्यताएं और कहानियां

Raksha bandhan muhurat 2023: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होता है और इसी वजह से हिंदू धर्म में राखी बांधना विशेष माना जाता है। रक्षाबंधन के अवसर पर बहने अपने भाईयो की कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी बांधती है

Raksha bandhan muhurat 2023: क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन, जाने इससे जुड़ी मान्यताएं और कहानियां

Raksha bandhan muhurat 2023: रक्षाबंधन हिंदू धर्म का  महत्वपूर्ण त्योहार है। ये त्योहार भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होता है और इसी वजह से हिंदू धर्म में राखी बांधना  विशेष माना जाता है। रक्षाबंधन के अवसर पर बहने अपने भाईयो की कलाई पर रक्षा सूत्र या  राखी बांधती है, मिठाई खिलाती और आरती करती है।  इसके बदले में भाई अपनी बहन को गिफ्ट देता है और हमेशा उनकी जीवन भर रक्षा करने का वादा करता है।  माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत 6,000 साल पहले  से हुइ थी। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा।

  • आइए जानते हैं हजारों वर्षों से चले आ रहे रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे की कथाएं।

देवराज इंद्र की कथा

रक्षाबंधन मनाए जाने के पीछे बहुत सारी  पौराणिक कथाएं हैं। हिंदू धर्म में इन कथाओं के आधार पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, देवताओं और असुरों के बीच धरती पर 12 सालों तक युद्ध चला रहा था, लेकिन  सभी देवता असुरों को हरा पाने में सफल नहीं हो पा रहे थे, तब देवगुरु ब्रहस्पति ने इंद्र की पत्नी इंद्राणी को श्रावण शुक्ल की पूर्णिमा को व्रत रखकर रक्षा-सूत्र बांधने के लिए कहा था, इसके बाद उन्होंने  व्रत रखकर  दाहिनी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था और फिर  सभी  देवताओं ने मिल कर असुरों को हरा दिया था।  यें  भी एक वजह हैं जिस के कारण रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। 

भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा

यह पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। अपनी राजधानी इंद्रप्रस्थ में राजा युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया था । उस यज्ञ में शिशुपाल भी उपस्थित हुआ, यज्ञ के दौरान शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का बहुत अपमान किया उसकी सारी बाते सुन कर श्रीकृष्ण को बहुत गुस्सा आ गया और श्रीकृष्ण  ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया था। शिशुपाल का वध करके श्रीकृष्ण लौट रहे थे, तब उनका ध्यान अपनी कटी हुई उंगली पर गया था जो सुदर्शन चक्र की वजह से थोड़ी कट गई थी और उससे रक्त बह रहा था। तब द्रौपदी ने अपने साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांधी, उस समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह इस वस्त्र के एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे।

जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का  प्रयास किया था, तब श्रीकृष्ण ने अपना वचन निभाते हुए  द्रौपदी की लाज की रक्षा की। जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कटि हुई  उंगली में अपना पल्लू बांधा था, उस दिन श्रावण पूर्णिम का दिन था इसलिए उस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है।

हुमायूं और  रानी कर्णवती की कहानी

राखी की  कहानी चित्तौड़ के राजपूत राजा सांगा की रानी कर्णवती और मुग़ल शासक हुमांयू से भी जुड़ी हुई है। राजस्थान में यह प्रथा थी कि, जब  राजा युद्ध पर जाते थे तो महिलायें उनके माथे पर कुमकुम का तिलक करती थी और कलाई पर रक्षासूत्र बांधती, लोगों का यह विश्वास था कि रेशम का वह धागा उन्हें युद्ध में विजय दिलाएगा और सुरक्षित रखेगा।

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मार्च 1534 में गुजरात के शासक बहादुर शाह ज़फर ने चित्तौड़ पर हमला किया था, तब चित्तौड़ की रानी कर्णवती ने मुग़ल बादशाह हुमांयू को राखी भेजी थी और उनसे सहायता मांगी। उस समय हुमांयू बंगाल की चढ़ाई के लिए जा रहे थे, लेकिन राखी मिलते ही वो रानी कर्णवती की सहायता के लिए चित्तौड़ के लिये रवाना हो गए थे। हुमांयू जब तक चित्तौड़ पहुँचे, तब तक  बहुत देर हो चुकी थी और रानी कर्णवती ने जौहर कर लिया था। राखी का फ़र्ज़ निभाते हुए हुमांयू ने बहादुर शाह ज़फर से युद्ध किया था और उन्हें हराकर चित्तौड़ के शासन की बागडोर को अपनी मुँहबोली बहन रानी कर्णवती के पुत्र विक्रमादित्य को सौंप दिया था।

राखी बांधते समय इन 10 बातों का ध्यान दें


1. रक्षाबंधन का त्योहार कभी भी भद्रा काल में ना मनाएं।
2.रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूरे घर में गंगाजल  छिड़के।
3. स्नान के बाद सूर्य देव को जल छढाते हुए अपने कुल देवी और देवताओं का आशीर्वाद लें।
4. इसके बाद शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए राखी की थाली को सजाएं।
5. तांबे या पीतल की थाली में राखी,अक्षत,सिंदूर,मिठाई और रोली रखें।
6. अपने कुलदेवता को रक्षाबंधन पर रक्षा सूत्र को समर्पित करते हुए पूजा करें।
7. राखी बांधते हुए इस बात का ध्यान रखें कि भाई का मुख पूर्व दिशा मे हो ।
8. बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं और तब कलाई पर राखी बांधें।
9. बहनें भाई के दाहिने हाथ पर ही राखी बांधे।
10. इसके बाद बहन-भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाएगें