Patna HC: पटना हाई कोर्ट ने पकड़ौआ विवाह को बताया अमान्य, 10 साल पहले हुई शादी को किया रद्द

जस्टिस पी बी बजंथरी और अरुन कुमार झा की बेंच ने 10 साल पहले हुई पकडौआ शादी को रद्द कर दिया है।

Patna HC: पटना हाई कोर्ट ने पकड़ौआ विवाह को बताया अमान्य, 10 साल पहले हुई शादी को किया रद्द

Patna HC: पटना हाईकोर्ट ने पकडौआ शादी को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। पकड़ौआ शादी को अमान्य बताते हुए कोर्ट ने बिहार में भारतीय सेना के एक कांस्टेबल की 10 साल पहले हुई पकडौआ शादी को रद्द कर दिया है। इस मामले पर जस्टिस पी बी बजंथरी और अरुन कुमार झा की बेंच ने सुनवाई की है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल बिहार के नवादा जिले में रहने वाले कांस्टेबल रविकांत को 10 साल पहले यानि 2013 में बिहार से अगवा कर लिया गया था। जिसके बाद उसकी बंदूक की नोक पर एक महिला के साथ जबरन शादी करा दी गयी थी। इसी के चलते कांस्टेबल ने लखीसराय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में केस दायर किया था। रविकांत को 30 जून 2013 को दुल्हन के परिवार ने उस समय अगवा कर लिया था जब वह लखीसराय के एक मंदिर में पूजा-अर्चना करने गए थे।

कोर्ट ने क्या कहा

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार झा और जस्टिस पीबी बजंथ्री ने दस साल पहले हुए पकड़ौआ शादी के केस में सुनवाई की। इस दौरान हाईकोर्ट ने पकड़ौआ शादी को अमान्य बताया है और कहा है कि जबरदस्ती की गई शादी मान्य नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि बंदूक की नोंक पर किसी भी महिला की मांग भरना शादी नहीं कहलाएगी। जबरन सिंदूर लगाना हिन्दू कानून के तहत शादी नहीं है। जब तक दूल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों फेरे नहीं ले या दोनों के बीच सहमति न हो, तब तक शादी वैध नहीं मानी जाएगी।

फैमिली कोर्ट में खारिज हुई थी याचिका

खुद पकड़ौआ शादी के शिकार हुए कांस्टेबल रविकांत ने अपने पकड़ौआ विवाह के बाद इस पर लड़ने का फैसला किया। रविकांत अपने पकड़ौआ विवाह को रद्द कराने के लिए फैमिली कोर्ट गए थे। लेकिन, 27 जनवरी, 2020 को कोर्ट ने इनकी याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि रविकांत ने हार नहीं मानी और वह पटना हाईकोर्ट न्याय मांगने पहुंच गए। जिसके बाद अब जाकर उन्हें इसमें जीत हासिल हुई।

क्या है पकड़ौआ विवाह

पकड़ौआ' या पकड़वा विवाह यानि ऐसी शादी जिसमें शादी योग्य लड़के का अपहरण कर उसकी जबरन शादी करवाई जाती है। लड़के को मार-पीट के बल पर या डरा-धमकाकर बिना उसकी इच्छा के शादी करा दी जाती थी। 80 के दशक में बिहार में ज़्यादातर लोग पकड़ुआ विवाह करते थे। इस विवाह के तहत लड़के का अपहरण करके उसकी ज़बरन शादी कराई जाती है। एक जमाने में माना जाता था कि अगर लड़का इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहा है तो उसे सरकारी नौकरी मिल ही जाएगी। ऐसे में परीक्षा देने के दौरान ही लड़के का अपहरण कर उसकी शादी कर दी जाती थी। दरअसल  पकड़ौआ विवाह एक सामाजिक बुराई है। जिसमें विवाह की उम्र की लड़कियों के परिवार के सदस्य भारी दहेज देने से बचने के लिए कपटपूर्ण तरीके से योग्य लड़के से जबरदस्ती अपनी लड़की का विवाह कर देते हैं।