Miscarriage Symptoms: ये छोटी छोटी गलतियां बन सकती है मिसकैरेज का कारण !

महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी सबसे इम्पॉर्टेंट फेज होता है।प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपना और होने वाले बच्चे का खास ध्यान रखना पड़ता है।ऐसे में छोटी सी चूक भी मिसकैरेज यानि गर्भपात का कारण बन सकती है। कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम जाने अनजाने इग्नोर कर देते हैं और यहीं मिसकैरेज का कारण बन जाती हैं तो चलिए आज बात करते हैं उन वजहों की जिनसे मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है।

Miscarriage Symptoms: ये छोटी छोटी गलतियां बन सकती है मिसकैरेज का कारण !

Miscarriage Symptoms: महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी सबसे इम्पॉर्टेंट फेज होता है।प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपना और होने वाले बच्चे का खास ध्यान रखना पड़ता है।ऐसे में छोटी सी चूक भी मिसकैरेज यानि गर्भपात का कारण बन सकती है। इसलिये प्रेगनेंसी के दौरान अपनी लाइफ से।अपनी सेहत से जुड़ी छोटी छोटी बातों पर भी गौर करना चाहिए।कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम जाने अनजाने इग्नोर कर देते हैं और यहीं मिसकैरेज का कारण बन जाती हैं तो चलिए आज बात करते हैं उन वजहों की जिनसे मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है।

हार्मोन इंबैलेंस

शरीर में हार्मोन इंबैलेंस मिसकैरेज का कारण बन सकता है। दरअसल, यूटरिन लाइनिंग पूरी तरह से बढ़ नहीं पाती है, जिससे फर्टिलाइज एग को इंप्लांट करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पिट्यूटरी गलैंड से रिलीज़ होने वाले प्रोलेक्टिन रिप्रोडक्टिव हार्मोन का लेवल यूटरिन लाइनिंग के डेवलेपमेंट को रोक सकता है।

जेनेटिक डिसऑर्डर

अतिरिक्त और कम जीन्स और क्रोमोसोम मिसकैरेज का मुख्य कारण बनता है। एबनॉर्मल क्रोमोसोम से बर्थ डिफेक्ट और इंटलएक्चुअल डिसएबिलिटी यानि बौद्धिक विकलांगता का कारण बनते हैं।

यूट्रस की बनावट

प्रेगनेंसी महिलाओं में गर्भाशय का सही आकार होना जरूरी है।गर्भाशय की शेप से लेकर साइज़ में बदलाव होने से गर्भपात का सामना करना पड़ता है।

फूड पॉइज़निंग

अधिकतर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान लो एपिटाइट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डायट का ख्याल न रख पाने से फूड पॉइज़निंग की समस्या बढ़ने लगती है। फूड पॉइज़निंग के चलते बार बार उल्टी करने का मन चाहता है, जिसका असर बच्चे की ग्रोथ पर भी दिखने लगता है।

मेटरनल एज

वो महिलाएं जो 35 की उम्र के बाद फैमिली प्लानिंग करती हैं, उनमें फर्टिलिटी रेट कम होने लगता है। इससे बच्चे में डॉउन सिन्डरोम का खतरा बना रहता है।

अनहेल्दी लाइफस्टाइल

स्मोकिंग, अल्कोहल इनटेक और नशीली दवाओं का सेवन करने से विषाक्त पदार्थ शरीर के संपर्क में आने लगते हैं। इससे प्रेगनेंसी लॉस का खतरा बना रहता है। इसके अलावा खान पान में लापरवाही बरतने से भी शरीर में पोषण की कमी बढ़ने लगती है और शरीर डिहाईड्रेशन का भी शिकार होने लगता है।

फिजिकल ट्रॉमा

अचानक से गिरना, किसी चीज़ से टकराना और कार दुर्घटना जैसे फिजिकल ट्रॉमा मिसकैरेज का कारण बन सकते है। प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में जब बच्चे की ग्रोथ शुरू होती है, उस वक्त वो बेहद कमजोर और आकार में छोटा होता है। उस समय गर्भपात की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

महिलाओं के लिए प्रेगनेंसी सबसे इम्पॉर्टेंट फेज होता है।प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपना और होने वाले बच्चे का खास ध्यान रखना पड़ता है।ऐसे में छोटी सी चूक भी मिसकैरेज यानि गर्भपात का कारण बन सकती है। इसलिये प्रेगनेंसी के दौरान अपनी लाइफ से।अपनी सेहत से जुड़ी छोटी छोटी बातों पर भी गौर करना चाहिए।कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम जाने अनजाने इग्नोर कर देते हैं और यहीं मिसकैरेज का कारण बन जाती हैं तो चलिए आज के इस वीडियो में बात करते हैं उन वजहों की जिनसे मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है।

हार्मोन इंबैलेंस

शरीर में हार्मोन इंबैलेंस मिसकैरेज का कारण बन सकता है। दरअसल, यूटरिन लाइनिंग पूरी तरह से बढ़ नहीं पाती है, जिससे फर्टिलाइज एग को इंप्लांट करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पिट्यूटरी गलैंड से रिलीज़ होने वाले प्रोलेक्टिन रिप्रोडक्टिव हार्मोन का लेवल यूटरिन लाइनिंग के डेवलेपमेंट को रोक सकता है।

जेनेटिक डिसऑर्डर

अतिरिक्त और कम जीन्स और क्रोमोसोम मिसकैरेज का मुख्य कारण बनता है। एबनॉर्मल क्रोमोसोम से बर्थ डिफेक्ट और इंटलएक्चुअल डिसएबिलिटी यानि बौद्धिक विकलांगता का कारण बनते हैं।

यूट्रस की बनावट

प्रेगनेंसी महिलाओं में गर्भाशय का सही आकार होना जरूरी है।गर्भाशय की शेप से लेकर साइज़ में बदलाव होने से गर्भपात का सामना करना पड़ता है।

फूड पॉइज़निंग

अधिकतर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान लो एपिटाइट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डायट का ख्याल न रख पाने से फूड पॉइज़निंग की समस्या बढ़ने लगती है। फूड पॉइज़निंग के चलते बार बार उल्टी करने का मन चाहता है, जिसका असर बच्चे की ग्रोथ पर भी दिखने लगता है।

मेटरनल एज

वो महिलाएं जो 35 की उम्र के बाद फैमिली प्लानिंग करती हैं, उनमें फर्टिलिटी रेट कम होने लगता है। इससे बच्चे में डॉउन सिन्डरोम का खतरा बना रहता है।

अनहेल्दी लाइफस्टाइल

स्मोकिंग, अल्कोहल इनटेक और नशीली दवाओं का सेवन करने से विषाक्त पदार्थ शरीर के संपर्क में आने लगते हैं। इससे प्रेगनेंसी लॉस का खतरा बना रहता है। इसके अलावा खान पान में लापरवाही बरतने से भी शरीर में पोषण की कमी बढ़ने लगती है और शरीर डिहाईड्रेशन का भी शिकार होने लगता है।

फिजिकल ट्रॉमा

अचानक से गिरना, किसी चीज़ से टकराना और कार दुर्घटना जैसे फिजिकल ट्रॉमा मिसकैरेज का कारण बन सकते है। प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में जब बच्चे की ग्रोथ शुरू होती है, उस वक्त वो बेहद कमजोर और आकार में छोटा होता है। उस समय गर्भपात की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

मल्टीपल प्रेगनेंसी

एक से ज्यादा प्रेगनेंसी होना मिसकैरेज का कारण बनने लगता है। दरअसल, ज्यादा प्रेगनेंसी में बच्चे की ग्रोथ सही तरीके से नहीं हो पाती है।

दवाओं का सेवन

एंटीडिप्रेसन्ट और नॉन स्टीयोरॉइड समेत एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं का सेवन करने से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान तनाव, चिंता, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर से बचने की सलाह दी जाती है।

वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि बहुत सारे केसेज में मिसकैरेज को रोक पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है। साथ ही रेगुलर चेकअप और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं को जरूर खाएं।  वो महिलाएं जो पहली तिमाही में स्पॉटिंग, ऐंठन, पेट के निचले हिस्से में दर्द और ब्लीडिंग महसूस करती हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टरसे चेकअप करना चाहिए।

 एक से ज्यादा प्रेगनेंसी होना मिसकैरेज का कारण बनने लगता है। दरअसल, ज्यादा प्रेगनेंसी में बच्चे की ग्रोथ सही तरीके से नहीं हो पाती है।

दवाओं का सेवन

एंटीडिप्रेसन्ट और नॉन स्टीयोरॉइड समेत एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं का सेवन करने से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान तनाव, चिंता, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर से बचने की सलाह दी जाती है।

वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि बहुत सारे केसेज में मिसकैरेज को रोक पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है। साथ ही रेगुलर चेकअप और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं को जरूर खाएं।  वो महिलाएं जो पहली तिमाही में स्पॉटिंग, ऐंठन, पेट के निचले हिस्से में दर्द और ब्लीडिंग महसूस करती हैं, उन्हें तुरंत डॉक्टरसे चेकअप करना चाहिए।