Mayawati News : सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का करे पालन - मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए गए भाषण में सांप्रदायिक व भेदभाव वाली नागरिक संहिता वाले बयान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे।

Mayawati News : सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का करे पालन - मायावती

Mayawati News : बसपा सुप्रीमो (BSP Supremo) मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2024) पर लाल किले से दिए गए भाषण में सांप्रदायिक व भेदभाव वाली नागरिक संहिता (Civil Code) वाले बयान पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि सरकार (Indian Government) संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे।

बसपा सुप्रीमो ने पीएम को आरक्षण के मुद्दे पर घेरा

बसपा मुखिया मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि पीएम द्वारा कल 15 अगस्त को लाल किले से बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत की संवैधानिक (Indian Constitution) व्यवस्था को ’कम्युनल’ कहना क्या उचित है? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे, यही सच्ची देश भक्ति व राजधर्म है।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि पीएम द्वारा देश की अपार गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि की ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याओं पर इससे प्रभावित करीब सवा सौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नई किरण नहीं जगा पाना भी कितना सही है? लोगों के ’अच्छे दिन’ कब आयेंगे?

देश में समान सिविल संहिता की व्यवस्था होनी चाहिए

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में यूनिवर्सल सिविल कोड (Universal Civil Code) यानी कि समान सिविल संहिता पर कहा अभी तक देश में जो कानून है वो कम्युनल सिविल कोड है, इसलिए देश को सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा कि जो कानून धर्म के नाम पर बांटते हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा हमारे देश का संविधान जोर देता है कि देश में समान सिविल संहिता की व्यवस्था होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट भी कहता रहा है कि देश में समान सिविल संहिता लागू किया जाए।