Advocate Act: वकील लड़ने के नही है पैसें, अदातल में खुद भी लड़ सकते है केस जानिए कैसें?
कई बार अदालत में होने वाले फैसले आपके पक्ष में नहीं आते, फिर चाहे आप वकील के पीछे कितने भी पैसे खर्च कर लें, और अगर आपको लगता है आपका वकील आपका केस सही से रिप्रेजेंट नहीं कर पा रहा है। तो फिर न सिर्फ आप अपना पैसा बचा सकते हैं। बल्कि अपने केस को खुद भी लड़ सकते हैं। कैसे कोई लड़ सकता है खुद अपना केस। चलिए जानते हैं-
Advocate Act: हम में से कई लोगों ने कभी न कभी अदालत के चक्कर जरूर लगाए हैं। ऐसे में कई मौके ऐसे आ जाते हैं जहां लोगों को वकील करने पड़ जाते हैं। जिसमें लोगों का अच्छा खासा पैसा लग जाता है लेकिन फिर भी ये देखा गया है कि कई बार वकील बहुत पैसे लेने के बाद भी सही से केस नहीं लड़ पाते, जिसके चलते केस आप हार जाते हैं।
और जब केस नहीं लड़ सके तो न्याय क्या ही मिले, इसीलिए आज मतलब की खबर में हम आपको बताएंगे कि आप अदालत में अपना केस खुद कैसे लड़ सकते हैं।
आप खुद बन सकते है अपना वकील
कई बार अदालत में होने वाले फैसले आपके पक्ष में नहीं आते, फिर चाहे आप वकील के पीछे कितने भी पैसे खर्च कर लें, और अगर आपको लगता है आपका वकील आपका केस सही से रिप्रेजेंट नहीं कर पा रहा है। तो फिर न सिर्फ आप अपना पैसा बचा सकते हैं। बल्कि अपने केस को खुद भी लड़ सकते हैं। कैसे कोई लड़ सकता है खुद अपना केस। चलिए जानते हैं-
देखिए ऐसे मामलों में भारतीय संविधान ने आपको ये अधिकार दिया हुआ है कि आप अपना केस खुद भी लड़ सकते हैं। संविधान के सेक्शन 32 के तहत आपको अपना केसे खुद लड़ने का पूरा अधिकार मिला हुआ है। एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत अदालत में कोई भी व्यक्ति अपना केस खुद लड़ सकता है। जज भी सबको इस बात की इजाजत देते हैं। सबसे खास बात तो ये है कि किसी भी व्यक्ति के पास अदालत में अपना केस खुद लड़ने के लिए LLB की डिग्री होना भी कोई जरूरी नहीं है। इसके लिए बस आपको जज की इजाजत लेनी होती है। अगर जज इजाजत देता है तो आप अपना केस खुद लड़ सकते हैं। कुछ एक छोटी मोटी चीज़ों का बस आपको ध्यान देना होगा जैसे केस के और केस के बारे में पूरी जानकारी रखना। भले ही आपको समय ज्यादा लगे फिर भी आप केस समझने के लिए जज से कुछ समय मांग सकते हैं। ऐसे मामलों में होता क्या है कि कई बार जज आपको वकील रखने की सलाह देंगे। लेकिन अगर आप वकील नहीं रखना चाहते तो उसके पीछे का मकसद आप अपना पक्ष रखकर समझा सकते हैं। आखिर में आपको इससे जुड़ी कुछ कंडीशन्स के बारे में बता देते हैं-
अपनी केस लड़ने की ये होती है कंडीशन
सबसे पहली चीज़ तो आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा अच्छे से आनी चाहिए।
दूसरी बात कोर्ट के अंदर होने वाली कार्यवाही के सभी चरणों को अच्छे से समझकर ही अपना केस लड़ने की परमिशन लें।
अगर आप पर जिस धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, सबसे पहले उस धारा के बारे में सारी जानकारी हासिल कर लें।
और सबसे जरूरी दो बातें जिसका आपको ध्यान रखना है वो है कोर्ट की कार्यवाही के दौरान किसी भी तरह का झूठ बोलने और अभद्रता करने से बचना है।
दूसरी कि कोर्ट के नियमों के बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए।
पावर ऑफ अटॉर्नी के हिसाब से, कोई भी व्यक्ति अपने मुकदमे के लिए अदालत में अपना केस लड़ सकता है, बहस भी कर सकता है। लेकिन वो किसी दूसरे का केस नहीं लड़ सकता है।