Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में दो प्रधान, दो निशान, दो झंडे अब कभी नहीं हो सकते- अमित शाह

जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक उठा पटक जारी है। पार्टियां राज्य में होने वाले चुनावों में जीत के लिए विपक्षी पार्टियों पर हमलावर हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री अमित शाह आज जम्मू के दौरे पर हैं। उन्होंने किश्तवाड़ जिले के पद्देर नागसेनी शहर में एक चुनावी सभा को संबोधित किया।

Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर में दो प्रधान, दो निशान, दो झंडे अब कभी नहीं हो सकते- अमित शाह

Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir ) में होने वाले विधानसभा चुनाव (assembly elections) को लेकर राजनीतिक उठा पटक जारी है। पार्टियां राज्य में होने वाले चुनावों में जीत के लिए विपक्षी पार्टियों पर हमलावर हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री अमित शाह (Union Minister Amit Shah) आज जम्मू के दौरे पर हैं। उन्होंने किश्तवाड़ जिले के पद्देर नागसेनी शहर में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। विपक्षी दलों पर करारा निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में दो प्रधान, दो निशान, दो झंडे कभी नहीं हो सकते। झंडा एक ही हमारा प्यारा तिरंगा होगा। 

पहाड़ियों को आरक्षण जरूर मिलेगा- शाह

पहाड़ी आरक्षण (Hill Reservation) को लेकर शाह ने कहा वह कह रहे है कि अगर हमारी सरकार आई तो हम आरक्षण पर पुनर्विचार करेगें। आप उनके झांसे में मत आइए, उनकी सरकार आई तो वह आरक्षण पर पुनर्विचार नहीं, बल्कि उसे हटा देंगे। जब पहाड़ियों को आरक्षण देने की बात आई तो उन्होंने गुर्जरों को उकसाने का काम किया कि पहाड़ियों को आरक्षण मिलेगा, तो गुर्जरों का आरक्षण जाएगा। हमने गुर्जर भाइयों से वादा किया था कि पहाड़ियों को आरक्षण तो जरूर मिलेगा, लेकिन गुर्जर भाइयों का आरक्षण बिल्कुल भी कम नहीं होगा। आज गुर्जरों का आरक्षण जस का तस रख कर पहाड़ियों को आरक्षण देने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। मैं पहाड़ पर बसे सभी अभिभावकों को कहने आया हूं कि वो दिन अब लद गए, जब आपके बच्चों को ग्रेजुएशन में एडमिशन नहीं मिलता था। अब आपके बच्चे कलेक्टर और एसपी बनकर देश भर में काम करेंगे। यह अधिकार आपको नरेंद्र मोदी सरकार ने दिया है।

आतंकवाद को ऐसे दफन करेंगे क‍ि वह बाहर नहीं आ पाएगा- शाह

उन्होंने कहा कि हमने देश में विभाजन के दिन भी देखे और घाटी में 1990 में आतंकवाद के दिन भी देखे। चंद्रकांत शर्मा हों या परिहार बंधु हों, इन सभी लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। आज मैं इस क्षेत्र के सभी भाइयों को याद करते हुए आपसे वादा करता हूं कि आतंकवाद को इतने नीचे दफन करेंगे क‍ि वह कभी बाहर नहीं आएगा।