Former Sri Lankan captain Marvin Atapattu: श्रीलंका के इस खिलाड़ी ने 6 साल में बनाया सिर्फ 1 रन, कड़ी मेहनत के बाद मिली कामयाबी

क्रिकेट इतिहास में एक ऐसा क्रिकेटर भी हुआ है जिसकी किस्मत शुरुआती छह साल तक रूठी रही और फिर उस खिलाड़ी ने खुद को साबित करते हुए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज करवाया।

Former Sri Lankan captain Marvin Atapattu: श्रीलंका के इस खिलाड़ी ने 6 साल में बनाया सिर्फ 1 रन, कड़ी मेहनत के बाद मिली कामयाबी

Former Sri Lankan captain Marvin Atapattu: क्रिकेट जिस 22 गज की पट्टी पर खेले जाता है उस पिच पर क्रिकेटर्स का कड़ा इम्तिहान होता है। जो इस इम्तेहान में पास होता है क्रिकेट उसे महान बना देता है। क्रिकेट की दुनिया में कई दिग्गज हुए जिन्होंने इस 22 गज की पट्टी पर जो अपनी महानता का किस्सा लिखा उसे पूरी दुनिया ने भी स्वीकार किया। इस पिच ने कभी ब्रैडमैन (bradman), गावस्कर (Gavaskar), बॉर्डर (border), सचिन, जयसूर्या (Jayasuriya), पोंटिंग और ना जाने कितने लीजेंड्स का इम्तेहान लेकर उन्हें महान बनाया है। इसके साथ ही क्रिकेट की दास्तान भी बड़ी अजीब होती है कोई खिलाड़ी अपनी शुरुआत ही धमाकेदार अंदाज में करता है तो, किसी खिलाड़ी को इस धमाके के लिए सालो इंतजार करना पड़ता है। कभी कभी तो खिलाड़ियों को महानता के उस दरवाजे तक पहुंचने के लिए हर बार खुद को साबित करना पड़ता है। आज हम एक ऐसे ही लीजेंड के बारे में आपको बताने जा रहे है जिसने छह साल तक सिर्फ एक रन बनाया और उसके बाद जब उसने वापसी की तो छह दोहरे शतक जड़ डाले। बाद में वो उसी टीम का कप्तान भी बना जिस टीम का हिस्सा बनने के लिए शुरुआती छह साल वो जूझता रहा।

छह साल तक अट्टापट्टू ने बनाया सिर्फ एक रन

क्रिकेट इतिहास में एक ऐसा क्रिकेटर भी हुआ है जिसकी किस्मत शुरुआती छह साल तक रूठी रही और फिर उस खिलाड़ी ने खुद को साबित करते हुए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज करवाया। जी हां हम बात कर रहे है दाएं हाथ के बल्लेबाज और पूर्व श्रीलंकाई कप्तान मार्विन अट्टापट्टू (Former Sri Lankan captain Marvin Atapattu) की। इस श्रीलंकाई दिग्गज के करियर की शुरुआत इंडिया के खिलाफ ही टेस्ट सीरीज से हुई थी। अट्टापट्टू की क्रिकेट की ये शुरुआत किसी बुरे सपने की तरह थी। अपने डेब्यू टेस्ट में अट्टापट्टू बुरी तरह असफल रहे और दोनों पारियों में वो शून्य पर आउट हुए। उसके बाद वही हुआ जैसा होना चाहिए यानी कि मार्विन टीम से बाहर हो गए। लेकिन अट्टापट्टू ने हार नहीं मानी और वो टीम में जगह बनाने के लिए मेहनत करते रहे। धीरे धीरे दो साल का समय निकल गया और फिर एक बार चयनकर्ताओं की नजर अट्टापट्टू पर पड़ी और उन्हें फिर टीम में शामिल किया गया। इस बार ऑस्ट्रेलियाई टीम (Australian team) श्रीलंका दौरे पर पहुंची और कोलंबो टेस्ट में मार्विन टीम का हिस्सा बने। लेकिन ये क्या मार्विन के साथ फिर वैसा ही कुछ हुआ जैसा दो साल पहले हुआ था यानी की फिर एक बार असफलता हाथ लगी। अपने करियर के दूसरे टेस्ट में अटापट्टू पहली पारी में शून्य पर तो वहीं दूसरी पारी में केवल 1 रन ही बना सके थे। यहां से ऐसा लगने लगा था कि अटापट्टू का करियर खत्म हो जाएगा। टेस्ट करियर के पहले 17 पारियों के दौरान अटापट्टू छह बार शून्य पर आउट हुए थे। धीरे धीरे समय गुजरता गया और मार्विन खुद को और ज्यादा निखारने में लग गए। लेकिन किस्मत हमेशा से मार्विन अटापट्टू के साथ थी। 1996 में समय फिर पलट कर वापस आया और इस बार अटापट्टू ने भी फैसला कर लिया था या तो आर या तो पार। इस बार मिले मौकों को अट्टापट्टू जाने देने के मूड में नहीं थे।

शतक बनाने के लिए करना पड़ा 18 टेस्ट मैचों का इंतजार

1996 में मिले मौके पर अटापट्टू पूरी तरह खरे उतरे और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन अभी टेस्ट करियर में शतक आना बाकी रह गया था। खैर अब अट्टापट्टू में ऊर्जा का संचार हो चुका था आत्मविश्वास ने जगह बना ली थी। फिर आया साल 1997 और श्रीलंकाई टीम (sri lankan team) भारत के दौरे पर आई। मोहाली के मैदान पर भारत और श्रीलंका को टीम आमने सामने थी और अट्टापट्टू अपना 18 वां टेस्ट मैच खेल रहे थे। क्रीज पर पहुंचते ही अट्टापटू ने मैदान के चारों तरफ नजर घुमाई और भारतीय गेंदबाजों का सामना करने लगे। इस मैच के लिए वक्त ने मार्विन के लिए वो लिख दिया था जिसके हकदार वो शुरू से थे लेकिन किस्मत का साथ ना होने की वजह से वो उन्हें मिल नहीं रहा था। इस मैच में मार्विन अट्टापट्टू ने शानदार सैकड़ा जड़ा, अपने टेस्ट करियर का पहला शतक। अब इसके बाद अट्टापट्टू कहां रुकने वाले थे। सही मायने में अगर देखा जाए तो इस लीजेंड का करियर की शुरुआत तो अब हुई थी। इसके बाद अट्टापट्टू ने टेस्ट क्रिकेट में 6 दोहरे शतक भी जड़े। अंतरराष्ट्रीय करियर की बाते करें तो टेस्ट में अटापट्टू ने 90 मैच खेल कर 5502 रन बनाए जिसमें 16 शतक और 17 अर्धशतक शामिल रहे। इस दौरान टेस्ट में उनका औसत 37.52 का रहा। वहीं वनडे में भी अटापट्टू श्रीलंका के बल्लेबाजी की रीढ़ रहे। इस फॉर्मेट में 268 मैच खेलकर इस श्रीलंका के बल्लेबाज ने 8529 रन बनाए जिसमें 11 शतक और 59 अर्धशतक शामिल थे। 2007 में क्रिकेट के इस लीजेंड ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया लेकिन उससे पहले आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक इबारत लिख गया।