Bihar News: बिहार में दल-बदलूू नेताओं की चांदी, कईयों के साथ फिर भी हो गया "खेला"

किसी भी चुनाव से पहले नेताओं के दल बदलने का रिवाज पुराना रहा है। इस चुनाव में भी कई नेताओं ने अपने ठौर-ठिकाने बदले हैं। इनमें से अधिकतर नेताओं को तो नया ठौर मिल गया, लेकिन कई नेताओं को निराशा ही हाथ लगी। वे न घर के रहे न घाट के।

Bihar News: बिहार में दल-बदलूू नेताओं की चांदी, कईयों के साथ फिर भी हो गया "खेला"

Bihar News: किसी भी चुनाव से पहले नेताओं के दल बदलने का रिवाज पुराना रहा है। इस चुनाव में भी कई नेताओं ने अपने ठौर-ठिकाने बदले हैं। इनमें से अधिकतर नेताओं को तो नया ठौर मिल गया, लेकिन कई नेताओं को निराशा ही हाथ लगी। वे न घर के रहे न घाट के।

कई नेता बदल रहे है दल

बिहार में इस लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृृृत्व में एनडीए और विपक्षी दलों के महागठबंधन के बीच है। राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटों में से अधिकांश सीटों के लिए उम्मीदवार तय कर लिए गए हैं। हालांकि कई दलबदलू नेता अभी भी अपने लिए मुफीद ठिकाना खोज रहे हैं। अब हाल यह है कि ऐसे नेता या तो ’बिना दल’ (निर्दलीय) चुनाव मैदान में उतरें या फिर नए दल में अपने बदले संकल्पों के साथ रहें।

दल बदल कर राजद में आने वाले नेताओं को काफी लाभ हुआ दिख रहा है। जदयू छोड़कर कुछ ही दिनों पहले राजद में आए अभय कुशवाहा को पार्टी ने औरंगाबाद से चुनाव मैदान में उतार दिया, तो चुनाव के दौरान ही जदयू छोड़कर राजद में आईं बीमा भारती को राजद ने पूर्णिया से टिकट दे दिया।

वैशाली से राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे मुन्ना शुक्ला पिछले विधानसभा चुनाव में लालगंज से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। मुंगेर से चुनावी मैदान में उतरीं अनीता देवी भी पहले राजद की सदस्य नहीं थीं। हाल में ही उनहोंने बाहुबली अशोक यादव से विवाह रचाया और राजद का टिकट हासिल कर लिया।

जमुई से चिराग ने अपने बहनोई अरुण भारती को प्रत्याशी बनाया

ऐसा नहीं कि दलबदलू नेताओं को केवल राजद ने ही ठिकाना दिया है। एनडीए में शामिल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी जमुई से अपने किसी कार्यकर्ता पर भरोसा नहीं जताया। चिराग ने यहां से अपने बहनोई अरुण भारती को प्रत्याशी बना दिया। जदयू ने समस्तीपुर से अपने किसी कार्यकर्ता पर भरोसा नहीं कर, बिहार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चुनाव मैदान में उतार दिया।

एनडीए में शामिल जदयू के खाते में इस चुनाव में 16 सीटें गई हैं। जदयू ने अपने 13 पुराने सांसदों पर ही भरोसा जताया। पार्टी ने सिवान से विजयलक्ष्मी को टिकट दिया है। शिवहर से पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्‍नी लवली आनंद को चुनाव मैदान में उतारा है। लवली आनंद कुछ ही दिनों पहले राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुई थीं।

निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरें पप्पू यादव

कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी सुविधा के लिए पार्टी तो बदल ली, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। पूर्णिया सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया, लेकिन महागठबंधन में हुए सीट बंटवारे में पूर्णिया सीट राजद के खाते में चली गई। इसलिए पप्पू यादव को बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना पड़ा।

वैसे, महागठबंधन में शामिल राजद ने अपने खाते की सीट सिवान के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा अभी नहीं की है। इसी प्रकार विकासशील इंसान पार्टी ने भी अपने खाते की तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए हैं। कांग्रेस भी अपनी नौ सीटों में से सिर्फ तीन सीटों के लिए ही प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर सकी है। ऐसे में आयातित नेताओं को अभी भी ठिकाना मिलने की आस है, लेकिन पार्टियों के कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।