CAA Protest in Asam: असम में CAA के खिलाफ आंदोलन तेज करेगा AASU
अखिल असम छात्र संघ (आसू) के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को अधिसूचित किए जाने के बाद आगामी दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं आसू सहित 30 अन्य संगठनों ने सीएए के विरोध में पहले से ही 12 घंटे के भूख हड़ताल का आह्वान किया है।
CAA Protest in Assam: अखिल असम छात्र संघ (आसू) के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य (Samujjal Bhattacharya) ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को अधिसूचित किए जाने के बाद आगामी दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "नागरिकता संशोधन कानून को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद अब हमने प्रत्येक जिलों में इसकी कॉपी जलाने का फैसला किया है। इसे लेकर आगामी दिनों में राज्यभर में व्यापक स्तर पर अंहिसात्मक विरोध किया जाएगा।"
सीएए को लेकर 12 घंटो के भूख हड़ताल का किया ऐलान
आसू सहित 30 अन्य संगठनों ने सीएए के विरोध में पहले से ही 12 घंटे के भूख हड़ताल का आह्वान किया है। भट्टाचार्य ने कहा, "सीएए असम सहित पूर्वोत्तर भारत के लिए अन्याय है और इसके विरोध में 2019 से लेकर अब तक असम और त्रिपुरा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 53 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं।"
उन्होंने आगे दावा किया कि सीएए से मिजोरम, अरूणाचल प्रदश, नागालैंड और मणिपुर को छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा इस कानून में असम के तीन जिलों को शामिल नहीं किया गया और शेष 5 जिलों को संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत कवर किया गया है।
भट्टाचार्य ने कहा, "हमारा सबसे मुख्य सवाल यही है कि सीएए से जब मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश को नुकसान पहुंचेगा, तो यह असम को कैसे फायदा पहुंचा सकती है? अगर यह असम के कोकराझार और कार्बी आंगलोंग के लिए गलत है, तो यह नौगांव और कामरूप के लिए कैसे फायदेमंद है? हमें डंपिंग ग्राउंड के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।"
हम सीएए का तब तक विरोध करते रहेंगे, जबतक इसे वापस नहीं ले लिया जाता- भट्टाचार्य
उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर भारत देश के शेष भूभागों से इस लिहाज से अलग हो जाता है, क्योंकि यहां सर्वाधिक संख्या में घुसपैठिए दाखिल हुए हैं। 1980 में असम में आंदोलन हुआ था, जिसके बाद असम सरकार ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, इसलिए हम सीएए का तब तक विरोध करते रहेंगे, जबतक इसे वापस नहीं ले लिया जाता।
इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने रविवार को कहा कि जब से सीएए कानून बना है, तब से इसे विरोध का कोई कारण नजर नहीं आता है। सीएम हिमंता ने कहा, "संसद द्वारा इसे मंजूरी देने से पहले उन्हें 2019 में अपनी आपत्तियां व्यक्त करनी चाहिए थीं। मैं उनके विचारों का सम्मान करता हूं, लेकिन मेरा मानना है कि उन्हें ट्रिब्यूनल द्वारा अवैध प्रवासियों का निर्धारण (आईएमडीटी) अधिनियम जैसे कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए।"